Thursday, June 11, 2015

**मूलनिवासी विशेषतः दलित स्वतंत्रता सेनानी**


**मूलनिवासी विशेषतः दलित स्वतंत्रता सेनानी**
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१९४७ में आज़ादी प्राप्ति के पश्चात शासन, प्रशासन का पूरा तंत्र ब्रहमण मनुवादियों के आधीन हो जाने के कारण चाहे वह कांग्रेस की सरकार रही हो या RSS की राजनितिक शाखा BJP की, इतिहास के नाम पर वही लिखा गया जो ये मनुवादी या ब्रहमणवादी चाहते थे ! इनको ये सफ़लता मिलने का मुख्य कारण था , हज़ारों साल इनके ही द्वारा पीडित , आत्याचार भोगी ,निर्धन और अशिक्छित मूलनिवासी ,दलित समाज जिस्के लिये इन ब्रहमण मनुवादियों ने ६००० वर्षों पहले ही से शिक्छा की प्रप्ति वर्जित कर दी थी ! यहां तक कि वेदों का एक श्लोक सुनने के जुर्म में कानों मे गर्म सीसा पिलाने और उन्ही श्लोको के पढने के जुर्म में ज़ुबान काट लेने का फ़तवा दे रखा था ! ऐसे में दलितों को अपने आप को ही हीन भावना से देखने की मान्सिक्ता का बनना अपरिहार्य था ! वो शारीरिक ही नही मान्सिक गुलाम बन चुके थे ! हर कोइ सोच सकता है कि एक कुत्ता को अपने साथ रखने से ये मनुवादी पवित्र थे किन्तु अछूतों का मात्र साया भी पड जाने से अपवित्र हो जाते थे ! ऐसी स्थिति में वही हुआ जो होना था दलित समुदाय ने ये हार्दिक और मान्सिक तौर पर स्वीकार कर लिया था की हमारे जनम मरण का उद्देश्य ही इन मनुवादियों की दासता है ! इतिहास क्या है ,? भूगोल या सभ्यता या स्वाभिमान किस चिडिया का नाम है ? ये कुछ नही जानते थे और जान ने की चेष्टा पर मनुवादियों के घोर यातना से भयभीत थे ! फ़ल स्वरूप इतिहास के नाम पर वही लिखा गया जो ये मनुवादी चाहते थे , इस बीच दलित समाज में जो भी महापुरूष हुये जैसे महिसा सुर , रावण , शम्बोक ,एकलव्य , हिरण कस्प ,ज्योतिबा फ़ुले या रैदास जिन्में से कुछ को इन मनुवादियॊं ने असुर या रक्छस का घिर्णित नाम दिया ,किसी को गयान पाने के प्रयत्न और पूजा करने के गुनाह में गर्दन उडावा दिया ! या किसी दूसरे कुंठित षणयंत्र से उनकी जीवन लीला ही समाप्त कर दी गयी इस प्रकार उन दलित महा पुरुषों की आवाज दबा दी गयी ! मनुवादियों का भय और डर का निशान, दलित समुदाय के दिलों में और गहरा होता गया ! इन मनुवादियों को मन मानी छूट पाने में सफ़लता मिलती रही ! दलितों दवारा किया गया कोइ भी कार्य इतिहास के पन्नों में नही आने दिया गया ! प्रस्तुत है १९९७ में छपने वाली एक Booklet ' Sepoy Mutiny 1957-58 and Indian Perfidy (बेइमानी) जिसके प्रीफ़ेस में एक बंगाली दलित IAS अधिकारी लिखता है " भारतिय इतिहास को भारतिय उच्च वर्ग के शिक्छित लोगों ने बिल्कुल एक नया मोड दे दिया है जिसमें सत्य को कालीन के नीचे सुला दिया गया है कि वह कभी रोशनी या प्रकाश में न आसके ! उच्च वर्ग के ज़मीदारों की पूरी सहानुभूति अंग्रेज़ों के साथ थी "
जबकि ’दलित फ़्रीडम फ़ाइटर ’ का लेखक पन्ना क्रमांक ३६ पर स्वीकार करता है कि " ये सत्य है कि निम्न समुदाय के बहुत सारे लोगों ने असहयोग ,अंग्रेज़ों भारत छोडो , इत्यादि आंदोलनों में अपना अभूतपुर्व सहयोग दिया और जान गंवाइ , किन्तु यश और प्रसिद्धि उच्च वर्ग के हिस्से में आयी क्युं कि वही लोग इन आंदोलनों के संगठन करता थे !" ऐसे बहुत से बुद्धजीवियों के कथन, उदाहरण में प्रस्तुत किये जा सकते है !
जो भी हो, इतिहास का बदलना भी प्रकिर्ति का एक अटल नियम है ! दलितों में भी एक युग पुरुष ,महामानव का अवतार हुआ जिस के बिना दलित समुदाय ही नही भारत का इतिहास अधूरा है, संसार उसे डा० बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के नाम से जानता है जिन्होंने इतिहास बदल डाला और अपने अथक प्रयास व लगन से दलित समुदाय को नयी जाग्रिति , चेतना के साथ स्वाभिमान की नयी ज़िंदगी दी ! शिक्छा के क्छेत्र में आगे बढता हुआ दलित समाज , शासन ,प्रशासन में जब अपने अधिकारों और भागीदारी का प्रश्न उठाया तो मनुवादियॊं के सीने पर सांप लोटने लगा ! उन्होने अज़ादी प्राप्ति के संदर्भ में दलित समाज को उलाहना दी ताने मारे , और महात्मा गांधी से अपने घोर विरोधी व दलितों के मसीहा डा० बाबा साहेब की अनबन को अधार बना कर आज़ादी के लडाइ में असहयोग का इलज़ाम लगा दिया कि दलित अपने लिये किसी भी प्रकार की भागीदारी का मुतालबा न कर सकें ! बात उस समय खुल कर आयी जब RSS के तत्वाधान में उसके करता धरताओं ने एक सोचे समझे प्लान के तहत , मूल निवासियों ,दलितों .अछूतों के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम या भारत निर्माण के किसी मुख्य या अमुख्य किसी भी प्रकार में किये गये अविस्मरणीय कार्यों को मिटाकर मनुवादियों पर आधारित , ब्रहमणवाद के गुणगान में अपनी मन मरज़ी नये इतिहास की रचना के लिये All India History Compilation Project नामक १९९९ में एक कमेटी बनाइ ! जिसकी बैठक १७ से १९ जुलाइ को इलाहाबाद में हुयी ! इस बैठक में दलितों के इतिहास को लिखने से दामन बचाने व उनके इतिहास को ही समाप्त कर देने के लिये एक सोची समझी रणनीति के तहत ’मोरेश्वर नीलकंठ पिंगले’ दावारा ये कहा गया कि शुद्र ग्वाला ,घूमन्तर जातियों और आदिवासीयों का इतिहास लिखना भारतिय समाज में समस्याओं का जनक और घिर्णा का सूत्रपात होगा ! अजीब बात और अजीब तर्क था इस प्रकार वह भारत के निर्माण में , भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दलितों की मुख्य या अमुख्य किसी भी भूमिका को नकार रहे थे ! उनके द्वारा तर्क में ये कहा जा रहा था दलित समुदाय हमेशा से सुस्त , काहिल, पढाये जाने योग्य या नौसिखुआ या दूसरे शब्दों मे अशिक्छित और अयोग्य था इसलिये वो कैसे १९५७ के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय और कुशल भूमिका निभा सकते हैं ?, किन्तु RSS और BJP वाले भूल गये कि जब कपडा , और प्रतिदिन के जीवन में उप्योग होने वाली बस्तुयें ब्रिटेन से आयात की जाने लगीं तो उसका प्रभाव इन दलित जातियों पर ही पडा जैसे जुलाहे , लोहार बढइ और दूसरी दलित जातियां बेरोजगार होगयी उन का दैनिक जीवन तबाह होगया और अंग्रेज़ उनको अपना सबसे बडा शत्रु नज़र आने लगे परिणाम स्वरूप उन्होनें १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिया भूमिका निभाइ ! साथ ही १७५७ के पलासी युद्ध का हवाला देकर RSS और BJP के उच्चस्तरीय लोगों द्वारा दलितों को Anti national (देशद्रोही) सिद्ध करने के लिये ये भी कहा गया कि पलासी युद्ध में दलित बहेलिया और दुसाधों ने अंग्रेज़ फ़ौज और गवर्नर जनरल लार्ड क्लाइव का साथ दिया था ! जिस पर उस समय के U.P. के राज्य पाल जो स्वयं शुद्र थे सूर्य भान , उन RSS और BJP वालों पर भडक उठे , यहां तक कि अपशब्दों का भी प्रयोग किया ! उन्हों ने कहा " जिस रामायण का तुम लोग पाठ करते हो जिस राम और सीता की तुम पूजा करते हो वह एक दलित’वाल्मिकि’ की देन है !" (संदर्भ के लिये जिसको चाहिये Dalit freedom fighter नामक पुस्तक में ये देख सकता है !)
यही कारण थे कि दलितों को अपने अस्तित्व जो मनुवादियों द्वारा मिटा दिया गया था ,इतिहास के पन्नों से समाप्त कर दिया गया था , को ढूढने की आवश्यक्ता आन पडी ! उन्होने अधिक तो नही किन्तु कुछ हद तक इसमें सफ़लता भी पायी और आज भी स्वतंत्रता सेनानियों ,भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले अपने , महापुरुषों वीरों और वीरांगनाओं को भारतिय समाज और इतिहास से परिचित कराने में व्यस्त हैं ! मै उनकी इस महान और पवित्र कार्य का आदर व सम्मान करता हूं !
नीचे कुछ गिने चुने दलित स्वतंत्रता सेनानियों के संदर्भ में वर्णित किया जा रहा है !
१- माता दीन भंगी -" बडा आवा है ब्रहमन का बेटा ! जिन कारतूसों का तुम उप्योग करते हो उन पर गाय का चर्बी लगावल जात है ! जिन्हे तुम अपने दांतों से तोड कर बन्दूक में भरत हो ,ओ समय तुमका जात और धर्म कहां जावत! धिक्कार है है तुम्हारे इस ब्रहमनवाद का !"
उपर्युक्त शब्द हैं १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के जनक माता दीन भंगी का जिसने बाराक पुर मे मंगल पांडॆ को संबोधित करते हुये कहा था ! जिसकी सज़ा भी उसे मिली जी हां अछूत नाग वशी ’भंगी माता दीन हेला ’ जिसको S R Sajiv Ram के अनुसार ’१८५७ के स्वतंत्रता संग्राम का जनक ’ भी कहा जाता है ! जिसकी जीवनी ’दलित केसरी , अनार्य भारत (मनी पुर यू पी) , हिमायती, दलित साहित्यिक पुस्तिका , में छपी थी !
२ - उदैया चमार - आप को ये जानकर हैरत होगी कि आज़ादी की लड़ाई 1804 में ही शुरू हो गई थी । और यह लड़ाई लड़ी गई थी छतारी के नबाब द्वारा , छतारी के नबाब का अंग्रेजो से लड़ने वाला परम वीर योद्धाथा ऊदैया चमार ,जिसने सैकड़ो अंग्रेजो को मौतके घाट उतार दिया था । उसकी वीरता के चर्चे अलीगढ के आस पास के क्षेत्रो में आज भी सुनाई देते हैं , उसको 1807 में अंग्रेजो द्वारा फाँसी दे दी गई थी। किन्तु आज इतिहास उस के संबंध में चुप है ! क्यों ? इसका उत्तर आप आसानी से सोच सक्ते है कि इसके पीछे कारण में कौन लोग हैं !
३ - बांके चमार - बांके जौनपुर जिले के मछली तहसील के गाँव कुवरपुर के निवासी थे , उनकी अंग्रेजो में इतनी दहशत थी की सं० 1857 के समय उनके ऊपर 50 हजार का इनाम रखा था अंग्रेजो ने । सोचिये जब १रूप्ये से कम पैसे की इतनी कीमत थी की उस से बैल ख़रीदा जा सकता था तो उस समय 50 हजार का इनाम कितना बड़ा होगा ! अपने १८ साथियो के साथ फ़ांसी पर लटका दिये गये !
४ - वीरांगना झलकारी बाई - इस वीरांगना को कौन नहीं जानता? जिस के पति क नाम पूरन कोरी था ! रानी झाँसी से बढ़ के हिम्मत और साहस था उनमे , वे चमार जाति की उपजाति कोरी जति से थी । पर दलित होने के कारण उनको पीछे धकेल दिया गया और रानी झाँसी का गुणगान किया गया !
उनके युद्ध कौशल के कारण ही कुच लोगो के अनुसार लक्छमी बाइ प्रताप गढ या नेपाल जाने में सफ़ल हो सकी उनकी सूरत झांसी की रानी से इतनी मिलती थी कि अंग्रेज़ फ़ौजी जनरल भी धोका खा गया ! D.C Dinkar के अनुसार "झांसी की रानी राज पाट की आशिक थी वह अंग्रेज़ों से युद्ध नही करना चाहती थी !"
५ - वीरा पासी -1857 में ही राजा बेनी माधव ग्राम मूरा मऊ जिला रायबरेली को अंग्रेजो द्वारा कैद किये जाने पर उन्हें छुड़ाने वाला अछूत वीरा पासी थे !
६ - गंगा दीन मेहतर - ये गंगू बाबा के नाम से भी आज जाने जाते हैं उनके इलाके कानपूर के लोग कहते हैं कि वे एक भंगी जाति के पहलवान थे १८५७ में अंग्रेज़ों के विरुद्ध सतीचौरा के करीब वीरता से लडॆ , अपना प्राक्रम दिखाया बहुत से अंग्रेज़ों को मौत के घाट उतारा बाद में अंग्रेज़ों द्वारा गिरिफ़्तार हुये और सुली पर लटका दिये गये !
७ - मक्का पासी - १० जून १८५७ अंग्रेज़ों की आरमी का एक छोटा दस्ता लारेंस हेनरी की कमान में अवध से चिनहाट, बाराबंकी जारहा था मक्का पासी ने २०० पासियों को लेकर उनका रास्ता रोका और कइ अंग्रेज़ों को मार गिराया अन्त्तः लारेंस के द्वारा आज़ादी की जंग में शहीद होगये ! पासी समुदाय के लोगों ने अवध के बडे भूभाग पर राज्य भी किया किन्तु मनुवादी व्यवस्था के पोषक इतिहासकारों ने उसे इतिहास के पन्नों में जगह नही दी ! मायावती ने उनके ये नाम लिखे हैं जो ये हैं - महाराजा बिजली पासी, महाराज लखन पासी, महाराजा सुहाल देव, महाराजा छेटा पासी, और महाराजा दाल देव पासी !
८ - उदा देवी - १९७१ सेनसस रेकार्ड के अनुसार बेगम हजरत महल का एक पासी पलटन भी था ! ये वीरांगना उदा देवी, लखनऊ के उजेरियन गांव की रहने वाली थीं, अपने शौहर की अंग्रेज़ों द्वारा गिरफ़्तारी के बाद बेगम हजरत महल द्वारा बनाइ गयी आरमी का एक कमांडर थीं ! जिनका पति मक्का पासी थे जो चिनहाट बाराबंकी में अग्रेज़ों द्वारा शहीद कर दिया गये थे और उसकी लाश पर रोते हुये मक्का देवी ने प्रतिशोध की कसम खाइ थी !
"पीपल के पेड के नीचे ठंडा पानी रखा हुआ था गरमी बहुत थी सख्त धूप में अंग्रेज़ सिपाही आते और पानी पी कर लेट जाते ! ततपश्चात जनरल डावसन को कुछ संदेह हुआ वह सावधानी पुर्वक आया उसने देखा अंग्रेज सिपाहियों को गोली मारी गयी है ! उसने लाशों को देखते हुये कुछ अन्दाज़ा लगाया और वैलेक को आवज़ दी और कहा की ये गोलियां बतारही हैं के आगे या पीछे से नही बल्कि उपर से मारी गयी हैं अब वो पेड पर देखने लगे जहा एक साया सा दिखाइ दिया वैलेक ने पोज़िश्न ली फ़ायर किया ! उपर से साया गिरा जो कोइ औरत थी ये और कोइ नही वीरांगना ’उदा देवी’ थीं जिन्होने अपना प्रतिशोध लेलिया था और वतन पर शहीद हो चुकी थीं ! उन्हों ने ३५ अंग्रेज़ सैनिकों को परलोक की राह दिखा दी थी ! किन्तु दलित होने के नाते उस वीरांगना को मनुवादीयों ने इतिहास में जगह नही दी ! १९८० से लोग उन्हें जानने लगे !
विश्व इतिहास में शायद ये पह्ले पति पत्नी हैं जो दोनों अपने देश के लिये शहीद होगये !
९ - महावीरी देवी - ये वीरांगना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़र नगर की थीं जिनके संबंध में कहीं कोइ चरचा नही ! लेकिन उनकी गाथा में अगरा की ये लोक गीत प्रस्तुत है !
" महावीरी भंगन के गनवा भैया गावत के परत !
सन ५७ के गदर में दी उसने कुरबानी !
अंग्रेज़ों के सामने उसने हार नही मानी !!"
एक दूसरी लोक गीत में उसका बखान ऐसा है -
" चमक उठी सन ५७ में वह तलवार पुरानी !
महावीरी भंगन थी ! बडी मरदानी !!"
इस वीरांगना को भी भारतिय इतिहास मे जगह नही मिल सकी , किन्तु लोगों के दिलों में आज भी सम्मान और आदर के साथ ये वीरांगना जीवित हैं !
१० - चेता राम जाटव - कहते हैं महाराजा पटियाला ने एक आदमी को देखा जो एक म्रित शेर को पीठ पर लादे चला आ रहा था शेर का बदन गर्म था उस आदमी के पास कोइ हथियार नही था पूछने पर पता चला कि उस आदमी ने ही बिना हथियार के शेर को मार गिराया है ! वह राजा की फ़ौज में शामिल होगया ये चेता राम जाटव थे जो बाद में गिरिफ़्तार होने पर पेड से बांध सूट करदिया गये थे ! इसप्रकार अपने देश के लिये शहादत पायी थी लेकिन इतिहास में इन्हें भी कोइ स्थान नही मिला ! हां उनकी कहानी आज भी लोगों में गूंजती है !
११ - बालू राम मेहतर - ये भी वीर बांके चमार के साथ और उन्के ही जैसा पेड से बांध कर शूट कर दिये गये ! इनके साथ बाकी १६ दलितों को पेड से लटका कर फ़ांसी दे दी गयी थी !
१२ - बाबू मंगू राम - जाति से चमार थे इनका जन्म १८८६ ग्राम मोगोवाल जिला होशियार पुर पंजाब मेंहुआ था ! देश के लिये जीवन पर्यंत संघर्षरत रहे विदेशों मे ठोकरें खाइ कइ बार शूट होने के हुक्म के पर्यंत जीवन पाया इनकी कहानी बहुत लंबी है ! ’आदि धर्म ’ की स्थापना की !
१३ - उधम सिंग - ये भी दलित जाति कम्बोज से थे अनाथालय मे पले अग्रेज़ी भाषा किसी अंग्रेज़ की तरह बोलते थे मोहम्मद सिंग के नाम से Caxton Hall मे जलियां वाला बाग के पापी पजाब के गवर्नर जनरल डायर को गोली मारी और जलियां वाला बाग का बदला लिया जिसकी गांधी ,नेहरु और अनेक आर्यों द्वारा भर्तसना की गयी ! आज उनका नाम तो है किन्तु दिखावे के लिये !
इसके अतिरिक्त, जी डी तपसे, भोला पासवान, पन्ना लाल बरुपाल , सन्जिवय्या , रामचंद्र वीरप्पा ,सिदरन और लाखों दलित हैं जिन्हों ने स्वतंत्रता संगराम में अपने देश के लिये जान गवाइ ! खैर ये व्यक्तिगत विवरण था एक दो सामूहिक घटना की बातें भी हो जायें की वो पहलू भी शेष न रहे !
(१) आज़ादी की लड़ाई में चौरा- चौरी काण्ड एक मील का पत्थर है ,इसी चौरा- चौरी कांड के नायक थे रमापति चमार, इन्ही की सरपस्ती में हजारो दलितों की भीड़ ने चौरा-चौरी थाने में आग लगा दी थी जिससे 23 अंग्रेज सिपाहियों की जलने से मौत हो गई थी । इतिहासकार श्री डी सी दिन्कर ने अपनी पुस्तक ' स्वतंत्रता संग्राम में अछूतों का योगदान ' में उल्लेख किया है की - " अंग्रेजो ने इस काण्ड में सैकड़ो दलितों को गिरफ्तार किया । 228 दलितों पर सेशन सुपुर्द कर अभियोग चला। निचली अदालत ने 172 दलितों को फांसी की सजा सुनाई। इस निर्णय की ऊपरी अदालत में अपील की गई ,ऊपरी अदालत ने 19 को फाँसी, 14 को आजीवन कारावास , शेष को आठ से पांच वर्ष की जेल की सज़ा सुनाइ ! ।2 जुलाई 1923 को 18 अन्य दलितों के साथ चौरा-चौरी कांड के नायक रमापति को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया । चौरा- चौरी कांड में फाँसी तथा जेल की सजा पाने वाले क्रन्तिकारी दलितों के नाम थे-1- सम्पति चमार- थाना- चौरा, गोरखपुर, धारा 302 के तहत 1923 में फांसी 2- अयोध्या प्रसाद पुत्र महंगी पासी- ग्राम -मोती पाकड़, जिला, गोरखपुर , सजा - फाँसी 3- कल्लू चमार, सुपुत्र सुमन - गाँव गोगरा, थाना झगहा, जिला गोरखपुर, सजा - 8 साल की कैद 4 - गरीब दास , पुत्र महंगी पासी - सजा धारा 302 के तहत आजीवन कारावास 5- नोहर दास, पुत्र देवी दीन- ग्राम - रेबती बाजार, थाना चौरा-चौरी गोरखपुर, आजीवन कारवास 6 - श्री फलई , पुत्र घासी प्रसाद- गाँव- थाना चौरा- चौरी , 8साल की कठोर कारवास ! 7- बिरजा, पुत्र धवल चमार- गाँव - डुमरी, थाना चौरा चौरी , धारा 302 के तहत 1924 में आजीवन कारवास 8- श्री मेढ़ाइ,पुत्र बुधई- थाना चौरा, गोरखपुर, आजीवन कारवास इसके आलावा 1942 के भारत छोडो आंदोलन में मारने वाले और भाग लेने वाले दलितों की संख्या हजारो में हैं जिसमें से कुछ प्रमुख हैं- 1- मेंकुलाल ,पुत्र पन्ना लाल, जिला सीता पुर यह बहादुर दलित 1932 के मोतीबाग कांड में शहीद हुआ ! 2- शिवदान ,पुत्र दुबर -निवासी ग्राम - पहाड़ी पुर मधुबन आजमगढ़ , इन्होंने 1942 के 15 अगस्त को मधुबन थाना के प्रात:10 बजे अंग्रेजो पर हल्ला बोला , अंग्रेजो की गोली से शहीद हुए। इसके अलावा दलित अमर शहीदों का भारत अभिलेख से प्राप्त परिचय - मुंडा, मालदेव, सांठे,सिंहराम, सुख राम,सवराउ, आदि बिहार प्रान्त से । आंध्र प्रदेश से 100 से ऊपर दलित नेता व कार्यकर्ता बंदी। बंगाल से 45 दलित नेता बलिदान हुए आजादी की लड़ाई में ऐसे ही देश के अन्य राज्यो में भी दलितों ने आज़ादी के संग्राम में अपनी क़ुरबानी दी ।
(२) - २० जुलाइ १८५७ को अंग्रेज़ी सैन्य टुकडी उन्नाव से १० किमी० दूर मगरवारा गांव से कानपूर जाते समय , २००० पासियों ने पत्थर वर्षाते हुये उसका रास्ता रोका फ़ौज को रास्ता बदलना पडा ४ अगस्त को कानपूर से एक बडी सैन्य टुकडी सभी साजो सामान से फिर मगरवारा गांव से गुजरी पासियों ने फिर रास्ता रोका किन्तु इसबार सैन्य दल हर तरह का प्रबंध करके आया था फ़लस्वरूप २००० पासी अपने देश पर शहीद होगये कोइ भी जीवित नही बचा !
(३) हरबोला - ये भी दलितों में मदारी , बाज़ीगर ,नट बेवैरिया , सूत उपजातियां थीं जिसके लोग वगावत का संदेश जगह जगह गांव गांव ,घर घर गा कर या कहानी में गुप्त रूप से पहुंचाते थे !
इसके अतिरिक्त , चमार ,पासी,धोबी,खटिक, दुसाध, बसोर, धानुक, वाल्मिकि , कोरी,डोम , कोल ,धरिकार, खरबार. मुसहर , बेलदार , कंजरा , नट्, भुऐर ,घासी ,हवूदा, हारी, कलबाज ,कापडिया , कर कड . खैराहा ,अगरिया , वधिक , वाडी , भैंस्वार ,बजरिया , बजागी , वलहार , बंगाली ( ये सांप के चमडे और जडी बूटी बेचने वाले ) बांसफ़ोर, वरवार , वेदिया , भन्डू , बौरिया , लालबेगी, मज़हबी ( कहाडा) परिका , परडिया , पतरी , सहरिया , बहेलिया सनसिया , वलाइ बावैरिया सभी दलितों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया अपनी जान देश के लिये कुर्बान किया !
किन्तु
अजीब बात है जब उच्च वर्ग के ज़मींदार और शिक्छित लोग धन, सम्मान या ’राय बहादुर’ जैसी उपाधियां पाने या मूल निवासियों की ज़मीन हडपने के चक्कर में अंग्रेज़ों का सहयोग और चाटुकारिता कर रहे थे , जैसे बैकिम चंद्र चटर्जी जो १९ वर्ष की आयू में ग्रेजुएशन के बाद अंग्रेज़ों द्वारा डिप्टी मजिस्ट्रेट बना दिये गये और उन्होने अपने उपन्यास में कइ बार स्वीकार किया है कि "अंग्रेज़ हमारे मित्र है" ! रविंद्र नाथ टैगोर जो जार्ज पंचम के स्वागत समारोह के लिये ’जन गन मन’ लिखे , मनुवाद का नुयायी ’तिलक’ जो कहते थे कि ये तेली तंबोली संसद जाकर क्या हल चलाये गें ! माफ़ी वीर सावरकर जिसने ६ बार माफ़ी मांगी और रिहाइ के उपलक्छ ’बांटो और शासन करो ’के अंग्रेज़ों के असूल को सार्थक बनाने और अखंड भारत के पार्टीश्न में अहम भूमिका निभाइ , नाथू राम गोडसे जैसे बहुत से अन्य लोग वीर , धर्म वीर , देशभक्त , भारत रत्न , और जाने क्या क्या कहलाये , क्युं कि ये ब्रहमण थे मनुवादी थे , जबकि इसके विपरीत मूल निवासी जो केवल अपने देश भारत को अज़ाद कराने के लिये लिये भूखे प्यासे जंगल से लेकर शहरों , गावों में बिना किसी उपाधि ,बिना दौलत की लालच में लडते रहे और इसी कारण अंग्रेज़ों की घिर्णा ,शत्रुता, प्रकोप का शिकार भी होते रहे , अंग्रेज़ों की नज़र में क्रिमिनल कहलाये उनके लिये विशेषतः १८७१, १८९६ ,१९०१ ,१९०२, १९०९ ,१९११, १९१३ ,१९१४ ,१९१९ ,१९२४ क्रिमिनल एक्ट पास किये गये, फ़िर भी वो स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते रहे ,सर कटाते सूली पर चढते रहे , किन्तु उनका सवतंत्रता संग्राम और भारत निर्माण में कोइ भागीदारी होने से भी ब्रहमणवादियों मनुवादियों का इनकार किया अर्थ रखता है ! इसे समस्त दलित और मूल निवासियों को सोचना होगा !
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Monday, December 2, 2013

पेगंबर मुहम्मद साहब के बारे मेँ अपशब्द कहता है + बराह्मणो कीसबसे महत्त्वपूर्ण खोज +दोनों जंघाओं को फेलावे +गोहत्‍य एवं गोमांसाहार+भारत में आतंकवादी संगठन ....

Shivshree Bhaiya Patil
वैदिक हिंदू धर्माने स्त्रीला शूद्रातिशूद्र(अतिशूद्र) असा दर्जा दिला तसेच स्त्री हि पुरुषापेक्षा हीन असल्याचे बिंबविले ..स्त्रियांना स्त्री म्हणून हजारो वर्ष अधिकार वंचित ठेवले ...
आज स्त्रियांना अधिकार वंचित ठेवून दुबळे बनविण्यात आले ..स्त्री नेतृत्व समोर येऊ दिल्या गेले नाही ..वंचित घटकांना पुरेश्या प्रमाणात प्रतिनिधित्व देण्याची तरतूद आपल्या घटने मध्ये केलेली आहे ..ज्यांचे हजारो वर्ष आणि आता हि शोषण होत राहते त्यांना आरक्षणामुळे समाजात मानाने वावरण्यास मिळाले ..
पूर्वी महिला मेळावे व्हायचे का ते आपल्या परिचयाच्या राजकीय पुढारीवर्गाला विचारा महिला आरक्षण आल्याने महिलांना राजकारणात सन्मान दिल्या गेला त्याच्या मताकडे सर्व राजकीय पक्षांनी लक्ष तरी दिले सोडविले कि नाही नंतरचा प्रश्न ...
माननीय राज ठाकरे यांनी त्यांच्या आजोबांचे विचार वाचले नाहीत हे मी पूर्ण खात्री ने सांगू शकतो कारण प्रबोधनकार ठाकरे यांनी हि वंचित स्त्री घटका ला समाजात येण्याची संधी देण्याची मागणी केलेली आहे ..आज स्त्रियांना राजकारणात संधी दिल्या जाते ...
प्रबोधनकार ठाकरे यांना अपेक्षित संधी आज स्त्रियांना थोड्या प्रमाणावर का मिळत आहे ..
प्रबोधनकार ठाकरे यांचे जीवनातील शेवट चे भाषण उठ मराठ्या उठ आणि माझी जीवनगाथा या प्रकाशनाच्या निमित्ताने झाले त्यात त्यांनी जे विचार स्त्रीयाबद्दल मांडले त्यात स्त्रियाची सुधारणा व्हावी त्या पुढे याव्यात अशी त्यांची तळमळ दिसून दिसून आली ...त्यांनी एका शहीद जवानाच्या पत्नीचे उदाहरण सांगितले कि त्या स्त्रीचा नवरा चीन च्या युद्धात धारातीर्थी पडला आणि आपला हिंदू समाज तिला अपराधीपणाची वागणूक देत होता ..त्या कुटुंबाला समाज शिवत नव्हता ...प्रबोधनकार ठाकरे या कुटुंबाला लोक का शिवत नाहीत या प्रश्नाचे उत्तर शोधण्यासाठी त्यांच्या घरी चहा घ्यायला गेले इकडे गावात बोम्बबोब उठली कि ठाकरेचे कार्टे बिघडले ...
प्रबोधनकार ठाकरे यांनी त्या शहीद स्त्रीला म्हटलेताई! तुझा नवरा रणांगणी मेला. पण तू एवढे दागदागिने घालतेस ? बरं, घातलेस तर घातलेस, मग कुंकू का लावीत नाहीस ? कुंकू लावायला हरकत नाही. विधवांनी कुंकू लावू नये, असं कोणत्यामनुस्मृतीत लिहिलंय ?’ ती म्हणाली, ‘मी तुमच्यासाठी(समाजाच्यामुळे) कुंकू लावीत नाही !’ प्रबोधनकारम्हणजे?’ वा S वा S वा S ती तरुणी ! तिने अशी उत्तरं द्यावी. ती म्हणाली, ‘ आमचे यजमान हे असे बिछान्यामध्ये लोळून मेले नाहीत. धारातीर्थ तलवार गाजवून मोक्षाला गेले. त्यांच आठवण म्हणून हे दागिने घालते...हा प्रबोधनकार ठाकरे यांचा शेवटच्या भाषणातील किस्सा आहे तो मी बाबा आढाव यांच्या कडून एकूण स्तब्ध झालेला आहे 
हा किस्सा प्रबोधनकार ठाकरे यांनी शेवटच्या भाषणात सांगून स्त्रियांना कशाप्रकारे वागणूक दिल्या जाते हे सांगितले होते ..आज हि परिस्थिती बदलेली नाही आहे राजकारणातील स्त्रीयाबद्दल घाणेरड्या अफवा पसरवून त्यांना कलंकित करणारा आज हि समाज पूर्वीच्या काळी जसा स्त्रियांच्या बद्दल दृष्टीकोन ठेवून होता तसाच आहे ...
पंडिता रमाबाई चे चरित्र प्रबोधनकार ठाकरे ने लिहून स्त्रियांच्या उत्थानासाठी कार्य केले ...
एकूणच अधिकार वंचित घटकाला अधिकार देणे गैर नाही आहे ...राज ठाकरे यांनी त्यांच्या आजोबाच्या दृष्टीमधून स्त्रियांच्या आरक्षणाबद्दल चा विचार केला तर ते स्त्री आरक्षणाला विरोध करणार नाहीत ..
मी अपेक्षा करतो कि राज ठाकरे त्याच्या आजोबाचे साहित्य वाचून त्यानुसार विचार करतील ..
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Shivshree Bhaiya Patil
नरेंद्र मोदीने १९८७ मे आरक्षण विरोधी आंदोलन कि लढाई लढी थी ..बाद मे मंडल के तहत ओबीसी को आरक्षण देणे के निर्णय के विरुद्ध भी मोदीने आंदोलन किया था ..ओबीसी के आरक्षण के विरोध मे किया गया मोदी का आंदोलन बहोत हि हिंसक था ..
आज कही ओबीसी दोस्त मोदी ओबीसी है बहुजन है इसलिये हम उनका समर्थन करते है ऐसा कहते नजर आते है ...
देश मे ६५ % से अधिक लोग आरक्षण का लाभ उठाते है क्या वह लोग एक आरक्षण विरोधी व्यक्ती को अपना वोट देंगे ??
जो आरक्षण का लाभ लेते है वह मोदी समर्थक आरक्षण का लाभ लेने से मना कर देंगे ??

आरक्षण का लाभ लेने वाले लोग मोदी के समर्थन मे खडे होंगे जो आरक्षण का कट्टर विरोधी है ??क्या वह मोदी को वोट देंगे ??
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https://fbcdn-profile-a.akamaihd.net/hprofile-ak-ash2/s48x48/1076381_100001398544462_714944696_q.jpg
Shivshree Bhaiya Patil
जयराम रमेश ने देश को जरुरत मंदिर कि नही शौचालय कि है ऐसा कहां था तो भाजपा और हिंदुत्ववादी लोगो ने उनके आवास के सामने जाकर पेशाब करो आंदोलन किया था ...
अब नरेंद्र मोदीने पहिले शौचालय बाद में देवालय का नारा दीया है ...

क्या हिंदुत्ववादी लोगो मे हिम्मत है मोदी के आवास के सामने जाकर पेशाब करने कि ??
जयराम रमेश कि भूमिका को नरेंद्र मोदीने दोहराया है अब देखते है हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता कि क्या भूमिका है ....
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जिन लोगो को लगता हैं की दोगले चड्डीधारी मोदी को "देवालय से पहले शौचालय" वाले बयान और हिन्दू धर्म के अपमान के लिए घेरेंगे और मोदी को मांफी मंगवाएंगे तो आप भूल कर रहे हैं क्योंकि ये बेचारे तो 2008 में गुजरात में बंद कमरों में छतिया कूटते रह गए थे जब हिन्दू हृदय सम्राट के विकास के नाम पर राम से लेकर हनुमान और जाने कौन-कौनसे हिन्दू देवी देवताओ के 80 से ज्यादा मंदिरों को बुलडोज़र से तोड़ दिया था..
प्रवीण तोगड़िया इस बार की तरह उस टाइम भी मोदी को हिन्दू विरोधी और औरंगजेब, महमूद गजनवी से भी ज्यादा क्रूर बता कर रह गया था...लेकिन कर कुछ नहीं पाया था...

इसलिए ही तो कहता हूँ सब्र करो अगर मोदी गया तो सबसे ज्यादा बैंड इनकी ही बजेगी ये 2008 की तरह तो रो सकेंगे और ही बोल सकेंगे..
...
अब आप पूछिए इं दोगलो से की इतने मंदिर तो एक साथ आज दिन तक किसी मुस्लिम बादशाह या कांग्रेस के नेता ने नहीं तोड़े तो फिर क्यों मुस्लिम शासको को क्रूर और हिन्दू विरोधी और इसको हिन्दू हितेषी कहा जाता हैं...

http://youtu.be/NOW40DLxpSE

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नहीं होता है ,भारत में आतंकवादी संगठन ....
आतंकवादियों की लिस्ट् पर नजर डाल लेनी चाहिए,
यहां पानी में से दूध अलग करके पेश की गयी है
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन (2004 तक)
*
बब्बर खालसा इंटरनेशन
*
खालिस्तान कमांडो फोर्स
*
खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स
*
इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन
*
यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा)
*
नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट बोडोलेंड (एनडीएफबी)
*
पीपल्स लिब्रेशन आमी (पीएलए)
*
यूनाइटेड नेशनल लिब्रेशन फ्रंट (यहव, एनएलएफ)
*
पीपल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांग्लेईपाक
(
पीआरईपीएके)
*
कांग्लेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी)
*
कैंग्लई याओल कन्चालुम (केवाईकेएल)
*
मणिपुर पीपल्स लिब्रेशन फ्रंट (एमपीएलफ)
*
आल त्रिपुरा टाइगर फोर्स
*
नेशनल लिब्रेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा
*
लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई)
*
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)
पीपल्स वार, इसके सभी फार्मेशन और प्रमुख संगठन।
*
माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) इसके सभी फार्मेशन
और प्रमुख संगठन।
*
तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए)
*
तमिल नेशनल रिट्रीवॅल टुप्स (टीएनआरटी)
*
अखिल भारत नेपाली एकता समाज (एबीएनईएस)
.....
*
रणवीर सेना
अभिनव भारत
सनातन संस्थार
श्री राम सेना
मुंबई. महाराष्ट्रक पुलिस चाहती है कि अभिनव भारत
को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन की सूची में शामिल कर
लिया जाए। पुलिस ने सनातन संस्थाक के लिए
भी ऐसी ही सिफारिश की है। हालांकि राज्यध सरकार
सनातन संस्थाम पर पाबंदी लगाने की सिफारिश केंद्र सरकार

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         मन्त्र
पहले आप लोग इसकी खूबियों के बारे में लोगों की राय जानलें फिर बताते है उस मन्त्र का नाम अगर नहीं मालूम तो ?
1-
कुछ लोगों का कहना है इस मन्त्र को पढ़ने से
1
डॉलर की कीमत एक रूपये के बराबर हो जाएगी
2-
इस मन्त्र का चुनाव तक जाप करने पर...
अमेरिका और चाइना भारत पर निर्भर हो जायेंगे।
3-
इस मन्त्र का जाप करने से कांग्रेस डायनासोर की तरह लुप्त हो जाएगी।
4-
इस को जपने मात्र से भारत दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बन जायेगा वैज्ञानिकों पर आने वाले खर्च में कमी आएगी जिससे देश आर्थिक तोर पर मज़बूत होगा।
5-
अगर आप मक्कार और घटिया किस्म के इंसान हैं तो इसे हर दिन जाप करें इससे आपके कमीनेपन में कमी तो नहीं आएगी लेकिन राष्ट्रवादी होने का गौरव आपको हासिल ज़रूर होगा लाजवाब है ना ये मन्त्र बग़ेर कोई अच्छा कर्म किये आपको गौरव की अनुभूति करा रहा है जपते रहिये मन्त्र !
याद रखिये सपने वो पूरे होते हैं जो आँखें और दिमाग़ खोलकर देखे जायें ।अगर यकीन ना हो तो हमें उम्मीद है कि चुनाव के बाद आप की आँखें भी खुलेंगी और दिमाग़ भी...

शाक्य हरीश प्रियदर्शी



Surat (Gujrat) me do behno ne Asaram aur unke bete Narayan Sai ke Khilaf Youn Shosan ki FIR darj karwai hai. Badi bahan ka youn Shosan Asaram ne jabki chhoti ka unke bete narayan Sai ne kiya tha......

सूरत में 2 बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया है। FIR में आरोप लगाया गया है कि बड़ी बहन का यौन शोषण आसाराम ने जबकि छोटी बहन का शोषण उनके बेटे नारायण साईं ने... ...
http://nbt.in/hH0ssa

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"न्याय बोध इस्लाम का सबसे
ज्यादा आश्चर्य में डाल देने वाला आदर्श हैं,
इसलिए कि मैंने कुरआन पढ़ा तो मैने
पाया कि इस्लाम ने जीवन के कुछ तथ्यपरक
सिद्धांत दिए हैं, जो काल्पनिक नही,...
बल्कि व्यावहारिक हैं और पूरे जीवन के
लिए दैनिक कार्यक्रम निश्चित करते हैं।
ये सिद्धांत पूरी दुनिया -वालों के लिए हैं,
कि किसी विशेष क्षेत्र और देश के लिए 06
‘‘
सरोजिनी नायडू
(
स्पीचेज एण्ड राइटिंग्ज आफ
सरोजिनी नायडू, 1918, पृष्ठ 167)See More
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Credit:Imthiyaz Mohiddin

CONFESSION: 'BJP makes Hindus look like Muslims for its rallies'

Bharatiya Janata Party members have been caught discussing money to get crowds for Narendra Modi`s rally at Delhi`s Japanese Park held on Sunday.
http://zeenews.india.com/news/nation/confession-bjp-makes-hindus-look-like-muslims-for-its-rallies_880620.html

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प्राचीन भारत में गोहत् एवं गोमांसाहार
पंडित पांडुरंग वामन काणे ने लिखा है ''ऐसा नहीं था कि वैदिक समय में गौ पवित्र नहीं थी, उसकी 'पवित्रता के ही कारण वाजसनेयी संहिता (अर्थात यजूर्वेद) में यह व्यवस्था दी गई है कि गोमांस खाना चाहिए'' --धर्मशास्त्र विचार, मराठी, पृ 180)

महाभारत में गौ
गव्येन दत्तं श्राद्धे तु संवत्सरमिहोच्यते --अनुशासन पर्व, 88/5...
अर्थात गौ के मांस से श्राद्ध करने पर पितरों की एक साल के लिए तृप्ति होती है

मनुस्मृति में
उष्ट्रवर्जिता एकतो दतो गोव्यजमृगा भक्ष्याः --- मनुस्मृति 5/18 मेधातिथि भाष्
ऊँट को छोडकर एक ओर दांवालों में गाय, भेड, बकरी और मृग भक्ष् अर्थात खाने योग् है

महाभारत में रंतिदेव नामक एक राजा का वर्णन मिलता है जो गोमांस परोसने के कारण यशवी बना. महाभारत, वन पर्व (. 208 अथवा .199) में आता है
राज्ञो महानसे पूर्व रन्तिदेवस् वै द्विज
द्वे सहस्रे तु वध्येते पशूनामन्वहं तदा
अहन्यहनि वध्येते द्वे सहस्रे गवां तथा
समांसं ददतो ह्रान्नं रन्तिदेवस् नित्यशः
अतुला कीर्तिरभवन्नृप्स् द्विजसत्तम ---- महाभारत, वनपर्व 208 199/8-10

अर्थात राजा रंतिदेव की रसोई के लिए दो हजार पशु काटे जाते थे. प्रतिदिन दो हजार गौएं काटी जाती थीं
मांस सहित अन् का दान करने के कारण राजा रंतिदेव की अतुलनीय कीर्ति हुई.
इस वर्णन को पढ कर कोई भी व्यक्ति समझ सकता है कि गोमांस दान करने से यदि राजा रंतिदेव की कीर्ति फैली तो इस का अर्थ है कि तब गोवध सराहनीय कार्य था, कि आज की तरह निंदनीय

रंतिदेव का उल्लेख महाभारत में अन्यत्र भी आता है. शांति पर्व, अध्याय 29, श्लोक 123 में आता है कि राजा रंतिदेव ने गौओं की जा खालें उतारीं, उन से रक् चूचू कर एक महानदी बह निकली थी. वह नदी चर्मण्वती (चंचल) कहलाई.

महानदी चर्मराशेरूत्क्लेदात् संसृजे यतः
ततश्चर्मण्वतीत्येवं विख्याता सा महानदी

कुछ लो इस सीधे सादे श्लोक का अर्थ बदलने से भी बाज नहीं आते. वे इस का अर्थ यह कहते हैं कि चर्मण्वती नदी जीवित गौओं के चमडे पर दान के समय छिडके गए पानी की बूंदों से बह निकली.
इस कपोलकप्ति अर्थ को शाद कोई स्वीकार कर ही लेता यदि कालिदास का 'मेघदूत' नामक प्रसिद्ध खंडकाव् पास होता. 'मेघदूत' में कालिदास ने एक जग लिखा है

व्यालंबेथाः सुरभितनयालम्भजां मानयिष्यन्
स्रोतोमूर्त्या भुवि परिणतां रंतिदेवस् कीर्तिम

यह पद्य पूर्वमेघ में आता है. विभिन् संस्करणों में इस की संख्या 45 या 48 या 49 है. इस का अर्थ हैः ''हे मेघ, तुम गौओं के आलंभन (कत्) से धरती पर नदी के रूप में बह निकली राजा रंतिदेव की कीर्ति पर अवश् झुकना.''

aage neechle link par padhen
http://www.scribd.com/doc/24669576/
प्राचीन-भारत-में-गोहत्या-एवं-गोमांसाहार-India-Cow

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लो भाई अब तो चड्डीधारियों के पिता "मोदी" के खिलाफ उनके बड़े ताऊ "प्रवीण तोगड़िया" ने भी दे दिया हिन्दू विरोधी होने का सर्टिफिकेट..

अब क्या करेंगे बेचारे चड्डीधारी एक तरफ "बाप" दूसरी तरफ "ताऊ"....

मोदी के 'देवालय से पहले शौचालय' वाले बयान से हिंदू धर्म का अपमान: प्रवीण तोगड़िया...

आम तौर पर बीजेपी और इसके बड़े नेताओं के सुर में सुर मिलाने वाली वीएचपी के बोल कुछ बदले-बदले नजर रहे हैं. वीएचवी नेता प्रवीण तोगड़िया ने बीजेपी के 'पीएम इन वेटिंग' नरेंद्र मोदी के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिससे उन्होंने कहा था कि देवालय से पहले शौचालय जरूरी है.

प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि नरेंद्र मोदी का वह बयान हिंदू धर्म का अपमान है. उन्होंने कहा कि वे मोदी के बयान से काफी हैरान हैं.

प्रवीण तोगड़िया ने कहा की भाजपा और संघ को वैसे ही कड़ा विरोध मोदी के बयान का भी करना चाहिए जैसा जयराम रमेश का किया था...

और भी... http://aajtak.intoday.in/story/praveen-togadia-slams-narendra-modis-statement-1-743627.html

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HAHAHA. we ask to Asaram Now where is your Feku??? Friends Listen Surat: Another sexual assault case registered against Asaram, son

Surat: In more trouble for jailed self styled godman Asaram, an FIR has been registered against him and his son Narayan Sai in a sexual assault case in Surat.

The complaints have been lodged by two sisters who allege that the self-styled godman assaulted the elder sister in the Ahmedabad ashram and the younger one in Jahangirpura....

The case dates back to the period between 2002 and 2004.

Asaram is currently under arrest in the case on September 1 and his aide Shiva was arrested a few days later. Shilpi, who is accused of making arrangements to send the 16-year-old girl to Manai 'ashram' where Asaram allegedly sexually assaulted her in August, surrendered before the court last week. Fash gaya re fash gaya buri trah fash gaya VHP,BJP,or RSS ke BABA(Baap)

#AKSee More

आज कल कुछ आर्य समाजी पेज और उनही की संगत में रहकर कुछ अन्य हिन्दू पेज पैगंबर हज़रत मुहम्मद () की घरेलू ज़िंदगी के बारे में झूठ बोल रहे हैं, गालियां दे रहे हैं, मज़ाक उड़ा रहे हैं। क्योंकि इनके अपने धर्म शास्त्रों में अश्लीलता भरी पड़ी है, इसी कारण इनको पैगंबर () के जीवन में भी वही दिख रहा है। हजारों वर्षों तक ये अपनी माँ बहनों का जानवरों से संभोग कराते रहे (जैसे अश्वमेध यज्ञ में घोड़े से कराया जाता था) इसी लिए इनको हमारे नबी () के पवित्र चरित्र में भी यही नज़र रहा है। ये मेरी अपनी कल्पना नहीं है, कोई भी व्यक्ति इनके वेदों के बड़े बड़े भाष्यकारों, जैसे सायण, महीधर आदि के वेद भाष्यों में ये सब देख सकता है। एक बदज़ुबान आर्य ने इस्लामी नमाज़ का मज़ाक उड़ाते हुए लिखा।

नमाज़ में भी ईश्क बाज़ीयाँ गईं

और वो भी जिनमें ज़िक्र हूर आया ...

पर इन बदज़ुबान आर्यों को इस्लाम पर आक्षेप करते समय अपने ही शस्त्र याद नहीं रहते, इसी लिए हमें याद दिलाने पड़ते हें। आज तक तो कोशिश की कि यह सब आपको पढ़ने ना पड़ें। आज इन आर्यों के वेद से कुछ अश्लीलता लोगों को दिखाने का साहस कर रहा हूँ ये जानते हुए की इन अश्लील मंत्रों से मेरी facebook वाल भी अपवित्र होगी। जिस आर्य ने नमाज़ के बारे में यह बदज़ुबानी की ज़रा वो भी देखे कि विवाह के समय आर्य जो वेद मंत्र पढ़ते हें उनमें आखिर क्या कहा जा रहा होता है

अथर्ववेद काण्ड 14, सूक्त 2, मंत्र 38,39 और ऋग्वेद मण्डल 10, सूक्त 85, मंत्र 37 (विवाह सूक्त)

तां पूषं छिवतमामेरयस्व यस्यां बीजं मनुष्या वपन्ति |
या उरू उशती विश्रयाति यस्यामुशन्तः प्रहरेम शेपः || 38
आरोहोरुमुप धत्स्व हस्तं परि ष्वजस्व जायां सुमनस्यमानः |39

अनुवाद पंडित क्षेमकरनदास त्रिवेदी (आर्य समाजी): हे पोषक पति, उस अतिशय कल्याण करने हारी पत्नी को प्रेरणा कर जिस पत्नी में मनुष्य लोग वीर्य बोवें। जो हमारी कामना करती हुई दोनों जंघाओं को फेलावे और जिस में (उसकी) कामने करते हुए हम लोग उपस्थेन्द्रिय का प्रहरण करें। 38

हे पति तू जंघा के ऊपर , हाथ का सहारा दे, और प्रसन्न चित होकर तू पत्नी का आलिंगन करे। 39

कोई अपनी आँखों के मंत्रों का अनुवाद देखना चाहे तो आर्य समाज की इन लिंकों पर क्लिक करें

http://aryasamajjamnagar.org/atharvaveda_v2/pages/p696.gif

http://aryasamajjamnagar.org/atharvaveda_v2/pages/p697.gif

देखो कितनी अश्लील भाषा का प्रयोग किया गया है वेद में। यह सब बयान करने में कोई संकोच नहीं किया है। और ये मंत्र ये लोग विवाह के समय पढ़ते हैं। अच्छा है की विवाह में मेहमानों को संस्कृत नहीं आती नहीं तो इनको सुनके विवाह मंडप में शरीफ लोगों का बुरा हाल होजाता।

और इन अश्लील आर्यों को कुरआन की पवित्र भाषा पर आपत्ति है।.
http://aryasamajjamnagar.org/atharvaveda_v2/pages/p696.gif

Admin 02

-Editor-

- Muzaffar dango mein Ek Muslim family ne 4 saal ki ek Hindu bachchi ki 9 dino tak hifazat ki aur usey apni bachchi ki tarah rakha

- Vinod ki 4 saaal ki beti shivani dangey wale din (24 sep) school gaye aur wapas na aayee...

- Dlshad pahalwan aur Aazam pahalwan ne us bachchi ko ek pagal mahila ke saath dekha aur us bachchi ko ghar le aaye aur police mein khabar kar di

- Shivani ko us muslim family ne apni bachchi ki tarah rakha

- jumairat ( thrusday) ki raat us bachchi ke gaaw ka ek shaksh dilshan ke cousine ki dukan par scooter thik karwaney aaya aur jab us bachchi ki baat nikli to usey Dilshad ke ghar kle gaya aur usney us bachchi ko pahchan liya

- phir uskey maa baap ko khabar di gayee , beti ko sahi salamt paakar uskey gharwalo ki aankho mein aansso chalak parhey

http://www.amarujala.com/news/states/uttar-pradesh/muslim-family-gives-shelter-of-hindu-girl-child/See More

अंग्रेज़ी के पाठक में कमला दास और मलयालम के पाठकों में माधवी कुट्टी के नाम से जानी जाने वाली मशहूर लेखिका और कवयित्रों ने दिसम्बर १९९९ ई० में इस्लाम कबूल करके अपना नाम सुरैया रख लिया तो केरल के साहित्य, समाज, धर्म और संस्कृति के क्षेत्रों में जैसा तुफान आया, वैसा वहा के इतिहास में किसी एक व्यक्ति के धर्म बदलने से नहीं आया था। उनके दोस्तों और रिशतेदारों ने जहा यह कहकर उनके इस कदम का स्वागत किया था कि कमला दास को अपनी पसन्द का धर्म चुनने का अधिकार हैं और इस पर सवाल खड़ा करने का हक किसी को नहीं हैं। वहीं कुछ लोगों ने मोहतरमा सुरैया को मौत के घाट उतार देने की धमकिया भी दीं थी। अपने लेखन में एक कमला दास ने कृष्ण की राधा होने का दावा किया हैं। वे कहती हैं। कि अगर आप गुरूवारपप्पन जाए तो वहा आपको कृष्णा नहीं मिलेंगे। उनका नाम पैगम्बर मुहम्मद सल्ल रख लिया हैं।

कृष्ण के बारे में उनकी इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिकिया व्यक्त करते हुए वहा के, संघ परिवार के, एक नेता ने कहा था, उनके बयान से गुरूवारपप्पन के करोड़ों भक्तों की भावनाओं को चोट पहुचेगी। घर से बाहर निकलते हुए उन्हें अपने सहधमियों का कद नहीं घटना चाहिए था, जहा वे साठ साल तक पली-बढ़ी। केरल के सामाजिक जीवन के पाखंडों को बेनकाब करने वाली इस मशहूर लेखिका और कवयित्री के इस्लाम कबूल कर लेने से केरल के मुस्लिम समुदाय में बड़ा उत्साह था।अमियोप्पाको बधाइ देने के लिए इस समुदाय के औरत-मर्दों का तांता लग गया था। दैनिक मातृभूमि के पव सम्पादक वी० एस० नायर और मलयालम की जानी-मानी कवयित्री बालमणि अम्मा की बेटि माधवी कुट्टी को उनके करीबी अमियोप्पा के नाम से ही फुकारते थे। उनका जन्म एक साहित्यिक और बौद्वकि वातावरण में ३१ मार्च १९३४ ई० में केरल के मालाबार जिले के पुन्नायुकुलम गाव में हुआ था।

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# Feku ka jhoot pakda gaya..

Modi ne rewari, haryana exserviceman ke jalse mein kaha tha ke wo 1958 1959 mein 4th standard mein tha aur sainik school mein admission ki koshish ki thi ledki admission nahi ho sa ka... Jabke haqeeqat yeh hai ke india mein 1961 mein pehla sainik school khayam kiya gaya.

http://en.wikipedia.org/wiki/Sainik_School
# SR

-Editor-

- Mumbai mein ye dardnaak hadsa hua hai jis se insaniyat sharmsaar ho gayi , aurto ki hifazat aur rights ke liye badi badi baatey karney wala samaj kuch logo ki wajah se sharmsar hota ja raha hai

-Chaar mahiney tak apni hi beti ka balakar karney wala baap Jeevan lal bahadur Rana farar...

http://navbharattimes.indiatimes.com/mumbai/crime/Father-raped-his-daughter/articleshow/23535197.cms

is sey pahley bhi ek news aayi thi jismein baap beto ne milkar apni hi beti aur bahan ka 9 saal tak rape kiya aur kayee baar uska abortion bhi karwaya tha jismein uski maan ne bhi saath diya tha aur ab wo jail mein hain

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=438902209556159

http://indiatoday.intoday.in/story/lucknow-girl-raped-by-father-and-brother-for-9-years/1/305534.html

- isliye to islam kahta hain ki bachchey jab baligh ho jaye to unka bistar alag alag kar do chahey sagey bhai, bahan ya baap beti kyu na ho Islam mein clearly kaha gaya hai ki

Mafhum-e-Hadith: Rasoollallah sallallahu Alaihi wasallam ne Farmaya jab bachchey 10 Saal Ke Ho Jaayen to Unke Bistar Alag Kar do -Sunan Abi Dawud 495 - hasan

- isliye to kahtey hain ki islam is not only religion but its a complete solution of life

- agar ab bhi india mein Shariyat law implement kar diya jaye aur Rapist ko saza-e-maut di jaye to in cases par control kiya ja sakta haiSee More

ttps://www.facebook.com/IndMuslim?ref=streamOptionsIndian Muslim15 hours ago
"कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिन्हें सुधारा नहीं जा सकता केवल उनका खात्मा ही किया जा सकता है, हिंदू धर्म उनमें से एक है"
-
पेरियार रामास्वामी

******जाति प्रथा मानवता पर कलंक*****

भारत में ही सर्वप्रथम वर्णव्यवस्था का आविष्कार हुआ, जिसने भारत को दो हजार वर्षों तक गुलाम बनाने में मुख्य भूमिका निभायी.
2. भारत में ही सर्वप्रथम सतीप्रथा का आविष्कार हुआ, जिसमे विधवा औरतों को जिन्दा जला दिया जाता था. इस प्रथा को ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार ने 1841 में कानून बनाकर बंद किया था.
3. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर छुआछूत का आविष्कार हुआ था, जिसके द्वारा लाखों लोगों को अछूत बनाकर सभ्यता के प्रकाश से दूर रखा गया.
4. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर गाय, बैलों और घोड़ों की बलि देने की प्रथा का आविष्कार हुआ.
5. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर नरबलि की प्रथा का आविष्कार किया गया.
6. भारत में ही सर्वप्रथम दासप्रथा का भी आविष्कार हुआ.
7. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर निष्ठुर प्रथा गंगा-प्रवाह का आविष्कार हुआ था, जिसमे मनौती पूरी होने पर लोग अपनी पहली संतान को गंगा-सागर में छोड़ देते थे. इस क्रूर प्रथा को कम्पनी सरकार ने 1835 में कानून बनाकर बंद किया था.
8. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर चरक-पूजा का आविष्कार हुआ था, जिसमे मोक्ष के इच्छुक उपासक के मेरुदंड में दो लोहे के हुक धंसाकर उसे रस्सी के द्वारा चरखी के एक छोर से लटका देते थे और दूसरे छोर से उसे तब तक नचाते थे, जब तक उसके प्राण नहीं निकल जाते थे. इस प्रथा को ब्रिटिश सरकार ने 1863 में कानून द्वारा बंद किया था.
9. भारत में ही सर्वप्रथम कर्मफल आधारित पुनर्जन्म के सिद्धांत का आविष्कार हुआ, जिसने गरीबों के शोषण का क्रूर तन्त्र विकसित किया गया.
10. भारत में ही सर्वप्रथम सनातन धर्म के नाम पर एक ऐसे धर्म का आविष्कार किया गया, जिसमे समानता के लिए कोई जगह नहीं है.
और इन सारी बातों के निर्माता ब्राह्मण हैं.
भारत में इसे ढोकर अब भी सत्यानाश किया जा रहा है बस फर्क सिर्फ इतना है की आज धूर्त मनुवादियो के साथ आज ढोने वाले भी दोशी है जिन्होंने इसे अपनाया हुआ है।
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दोस्तो बराह्मणवादी यो का केहना हे के जो साईस अभी आिवश्कार कर रही हे वो तो ये लोग ५००० साल पेहेले ही कर चुके है...
तो मेने सोचा चलो ईनके महान आिवश्कारो पर थोडी रोसनी दाली जाये
थोडे ज्यादा आिवश्कार है पर तकलीफ ऊठा के पड लीजीयेगा
. बराह्मणो कीसबसे महत्त्वपूर्ण खोज वर्ण व्यवस्था औरजातियों की खोज थी | इन्होने मनुष्यों को ६७४३ सेअधिक जातियों में बाँट दिया | इतनी अधिकजातियों की खोज करना क्या कोई आसन काम है?सोचिये बेचारो को इतनी अधिकजातियों को खोजने में कितना अधिक परिश्रमकरना पड़ा ...ोगा |
. बराह्मणो की दूसरी महत्तवपूर्ण खोज ३३ करोड़ देवी-देवताओ की खोज है | ये खोज इन्होने उस समय की,जबदेश की कुल आबादी भी ३३ करोड़ नहीं थी | सोचियेबेचारो को इतने सारे देवी देवताओ की खोज ेंबेचार्रो को कितना पसीना बहाना पड़ा होगा |अजी रात दिन एक कर दिए होंगे बेचारो ने |
. आज चाहे वैज्ञानिक अभी तक दूसरे ग्रहों पर जीवनकी तलाश नहीं कर पाए लेकिन ये लोग बहुत पहलेही ऐसे दो लोको की तलाश कर चुके हैं जहाँ पर जीवन मौजूद है और वो ग्रह हैं स्वर्ग लोक जहाँ पर अलौकिक शक्तियों के स्वामी देवता निवास करते हैं |
. विश्व के देशो ने चाहे कभी भी परमाणु बम,हाइड्रोजन बम जैसे विनाशकारी बमों का निर्माणकिया हो लेकिन ये उससे बहुत पहले ही ऐसे ऐसे अस्त्रशस्त्रका निर्माण कर चुके थेजो पूरी सृष्टि का विनाश करने में सक्षम थे | इन्होनेउसको नाम दिया ब्रह्मास्त्र | इन्होने आजतककिसी आक्रमणकारी शत्रुओ के खिलाफ उसका प्रयोगक्यों नहीं किया ये अलग शोध का विषय है | बाहर सेकुछ सौ हजारो की संख्या में आक्रमणकारी आते रहेऔर इनको ३३ करोड़ शस्त्रधारी देवताओ के साथ धूलचटाते रहे ये अलग बात है | और ईनकी धोती फाड के ले जाते थे
. वैज्ञानिक बेशक आज तक मनुष्य की उम्र बढ़ाने औरऔर उसको अजर, अमर बनाने की औषधि नहीं खोजपाए हो लेकिन ये अब से कई युगों पहले मनुष्यको अमरता का रसास्वादन करवा चुके है ये अलग बात हैइनके द्वारा अमर किये गए अश्वत्थामा जैसे मानवकहीं देखने को नहीं मिलते हैं |
. बेशक विश्व में कभी भी आकाशवाणी का प्रसारणभारत से बहुत बाद में हुआ ये उससे बहुत पहले ऐसी व्यवस्था का निर्माण कर चुके थे जिससे किसी युद्ध का आँखों देखा हालबिना किसी भी कैमरा जैसे यंत्र की मदद केदिव्यदृष्टि के द्वारा किया जा सकता था लेकिनउसके बाद में उसका प्रयोग इन्होने क्यों नहीं किया येअलग एक विचारणीय प्रश्न है |
. विश्व का कोई भी देश आज तक सूर्य पर नहीं पहुँचसका है लेकिन ये अबसे पहले सूर्य पर होकर चुके हैं |
. सूर्य को फल की तरह खाया भी जा सकता है येभी अकेली इनकी ही खोज थी |
. बेशक राईट बंधुओ को हवाई जहाज के अविष्कार केनिर्माण के श्रेय दिया जाता हो लेकिन ये उससे बहुतपहले ही पुष्पक विमान का निर्माण कर चुके थे | उसकेबाद इनकी वायुयान निर्माण कला को क्या हुआ येआज तक रहस्य है |
. संजीवनी बूटी जैसी चमत्कारिकऔषधि भी इन्ही की खोज थी जिससे किसी भी मृतमनुष्य को जीवित किया जा सकता था लेकिन आजवो औषधि कहाँ हैं ये इनको भी आज तक नहीं पता है |
१०.आज बेशक देश में सूखा पड़ता हो और और लोगपानी को तरसते हो लेकिन ये अबसे युगों पहले आकाशमेंतीर मारकर बारिश करवा सकते थे आज ये उसका प्रयोगक्यों नहीं करते ये भी एक रहस्य है
११. एक गर्दन पर दस दस तक सिर और एक कंधे परहजारो हाथ उग सकते हैं येभी इनकी ही बुद्धिमता की खोज है |
१२. समुन्द्र यात्रा से मनुष्य गल जाता है येभी इनकी ही महत्तवपूर्ण खोज है |
१३. पशु पक्षियों में भी मानवीय संवेदना होती है औरवो भी मानव की भाषा बोल और समझ सकते हैंयेभी इनकी ही खोज है |
१४. मानव क्लोन बनाने की कला में तो ये सिद्धहस्त थे| अगर किसी मनुष्य के रक्त की बूंदे धरती पर पड़जाती थी तो जितनी बूंदे धरती पर पड़ती थी उसकेउतने ही क्लोन पैदा हो जाते थे |
१५. मानव रक्त भी कोल्ड ड्रिंक और चाय की तरहपिया जा सकता है ये भी इनकी ही महत्त्वपूर्ण खोजथी |
१६. बच्चे बिना औरत मर्द के पैदा भी किये जा सकते हैये भी इनकी ही खोज थी | ये मानव शिशु छींक कर,शरीर के मैल द्वारा, पशु पक्षियो के गर्भद्वारा भी पैदा करवा सकते थे |
१७. वानर रीछ जैसे जीव भी बिना पंखो के उड़ सकते हैंये भी इनकी ही खोज थी |
१८. एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के स्पर्श से, उसकी छाया सेभी भ्रष्ट हो सकता है ये भी इनकी ही खोज थी |
१९. पशु मानव से ज्यादा शुद्ध और पवित्र होता है येभी इनकी ही खोज थी |
२०. मानव के स्पर्श से भ्रष्ट से हुआ मनुष्य पशुओ का मूत्रपीकर, या मूत्र छिड़ककर पवित्र हो सकता है येभी इन्ही की खोज थी |
२१. स्त्री और शूद्र दोयम दर्जे के नागरिक हैइनकी अपनी कोई इच्छा नहीं होती | इनके कोईअधिकार नहीं होते | इनको अपनी इच्छा के अनुसारप्रयोग किया जा सकता है ये भी इन्ही की खोजथी |
२२. पूजा-अर्चना और हवन के द्वारा भी बारिशकरवाई और रोकी जा सकती है ये भी इन्ही की खोजथी|
२३. अगर किसी स्त्री को एक ही पुरुष में उपयुक्तपति नहीं मिलता है तो वो पांच या उससे अधिकभी आदमियों को अपने पतियों के रूप में स्वीकार करसकती है ये भी इन्ही की खोज थी |
२४. माता एक औरत को पांच भाइयो के बीच मेंकिसी वस्तु की तरह बाँट सकती है येभी इन्ही की खोज थी|
२५. अगर किसी औरत का गर्भपात हो जाता हैतो उसका भ्रूण नष्ट होने से बचाया जा सकता है औरउस भ्रूण को सौ टुकडो में बांटकर सौ या उससे अधिकसंताने पैदा की जा सकती हैं ये भी इनकी ही खोजथी |
२६. मानव और जानवर के सिर आपस में बदले जा सकते हैंये भी इनकी ही खोज थी |
२७. मानव और हाथी का रक्त ग्रुप एक होता है येभी इनकी ही खोज थी |
२८. चूहे पर बैठकर भी मनुष्य सवारी कर सकता है येभी इनकी ही खोज थी |
२९. वैज्ञानिक बेशक आज तक किसी मनुष्य का भविष्यबताने में सक्षम हो लेकिन ये किसी का भी भूत,भविष्य और वर्तमान बताने में सक्षम है |
३०. पृथ्वी, सूर्य,चन्द्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि,सोम जैसे गृह भी जीवित प्राणी ही नहीं देवता भी हैंजो किसी का शुभ और अशुभ कर सकते है
तो ये हे ईनके आिवश्कार वाकई मे ईतने आिवश्कार कोई और नही कर सकता

Admin 02

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अकबरुद्दीन ओवैसी
शेयर करके सभी मुसलमान भाईयोँ तक पहुँचाए।
यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया जेसै
फेसबुक,
टिवटर,
गुगल
इत्यादि पर इस्लाम धर्म अथवा पेगंबर मुहम्मद साहब के बारे मेँ अपशब्द कहता है
यानि उनकी शान मेँ तोहीन करता है तो सबंधित पोस्ट का स्क्रीन शाट या प्रिँट आउट लेकर नजदीकी पुलिस स्टेशन मेँ उस व्यक्ति के खिलाफ "IT ACT" केतहत
SECTION 66, 153A, 295 IPC, मेँ FIR दर्ज करायेँ।
फिर उस पर NON-BAILABLE (गैर जमानती) वांरट जारी कर जैल जायेगा
कृपया सहायता करें।
शेयर करें।